जगतनाथ को सारी गोकुल नगरी माखन चोर बताती थी।
जिनके अंदर ब्रह्मांड,धरती, पाताल सब समाया था।
उसने मां का प्यार पाने को श्याम रूप बनाया था।
जिसने भरी सभा में द्रौपदी के चीर हरण को थामा था।
उस वंशज को मरवाने वाला अपना ही कंस मामा था।
जिसकी पादुका को पहनकर सुदर्शन सम्मान बने।
आज जगत में रसखान कविराज रसखान बने।
ना जाने कितने अत्याचारी असुरों को उसने मारा था।
द्वारकेश राधिका की एक प्रेम अश्रु से हारा था।
जिसने प्रीत नग को अपने दामन में ही समा लिया।
मुरलीधर ने चक्र उठाकर सारे जग का उद्धार किया।
वैजयंती माला राधा के अखंड प्रेम की निशानी थी।
उस नटखट बालक की सारी ही गोपी दीवानी थी।
जिसके चरणों को मोहन ने अश्रु से धोया था।
प्रेम डोर में एक नाम सुदामा भी पिरोया था।
दुर्योधन की मेवा त्यागी भोजन विदुर घर खाया था।
नारी सम्मान में गोविंद ने महायुद्ध रचाया था।
- कवयित्री वर्षा शर्मा