जीवन की अहमियत समझे, निडर बढ़े और सीखते रहे..

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जीवन बहुत मूल्यवान होता हैं, जिसको हमें अर्थपूर्ण कार्य में लगाना चाहिए जिससे परिवर्तन लाया जाए अपने जीवन में और समाज में जिससे खुशी शांति स्थापित हो, पर कुछ ऐसी भ्रमित बीमारी हैं जो बहुत कुछ छीन लेता है बिना वजह जिसका नाम डर है…..

डर एक ऐसा भ्रम है जो अच्छे खासे इंसान को खोखला बना देता है, डर एक ऐसा भ्रम हैं जो हमें सच तक नहीं पहुंचने देता है, जो काम हम 6 महीने में कर सकते हैं डर हमें सालों साल तक नहीं करने देता, डर हमें ये नहीं आता ये सोचते सोचते पूरी उम्र निकल जाती है जहां सिर्फ़ एक कदम आगे बढ़ाने की जरूरत होती सब कुछ आ जाता हैं , डर एक ऐसा ज़हर हैं जो हमें जिंदा तो रखता हैं पर हमसे बहुत कुछ छीन लेता हैं, कुछ ऐसा झूठा डर हम अपनी कल्पनाओं में बना लेते हैं जिसका वास्तविकता से कोई नाता नहीं होता हम उसको सोच सोच के सही साबित कर लेते हैं।

डर इंसान से वो सब छीन लेता है जिससे वो अपने व्यक्तित्व का विकास करता है, डर हमें इतना हल्का बना देता हैं जितना कभी हम होते ही नहीं, डर अच्छे खासे रिश्ते छीन लेते हैं जिस डर का कोई अस्तित्व ना होते हुए भी सारी अस्तित्व वाली चीजें हमसे छीन लेती हैं, डर एक ऐसा भ्रम हैं जो उन सवालों को जन्म देता है जिससे हमारा वर्तमान और भविष्य खराब हो जाता है जिसका वास्तविकता से कोई नाता ही नहीं होता फिर भी इंसान डर जैसी बीमारी से पीड़ित होकर कितने रिश्ते कितनी उपलब्धियां खो देता है डर एक ऐसी खोखली बीमारी हैं, जिसको हम अपने व्यक्तित्व के किसी कोने में जगह नहीं देनी चाहिए पर हम उसे पूरे जीवन में जगह देकर अपने व्यक्तित्व को खोखला कर देते हैं।

लेखिका के बारे:

युवा लेखिका रागनी मूल रूप से यूपी के बनारस जिले की निवासी है जो वर्तमान में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से समाज कार्य में स्नातक की शिक्षा ग्रहण कर रही है। एक आदर्श जीवन जीते हुए उनकी प्रेरक मुहिमों ने कई युवाओं को प्रेरणा दी जिसमें उनके द्वारा गरीब बच्चों को नि:शुल्क व्यवहारिक ज्ञान और प्राथमिक शिक्षा देना उल्लेखनीय है।

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