जीवन बहुत मूल्यवान होता हैं, जिसको हमें अर्थपूर्ण कार्य में लगाना चाहिए जिससे परिवर्तन लाया जाए अपने जीवन में और समाज में जिससे खुशी शांति स्थापित हो, पर कुछ ऐसी भ्रमित बीमारी हैं जो बहुत कुछ छीन लेता है बिना वजह जिसका नाम डर है…..
डर एक ऐसा भ्रम है जो अच्छे खासे इंसान को खोखला बना देता है, डर एक ऐसा भ्रम हैं जो हमें सच तक नहीं पहुंचने देता है, जो काम हम 6 महीने में कर सकते हैं डर हमें सालों साल तक नहीं करने देता, डर हमें ये नहीं आता ये सोचते सोचते पूरी उम्र निकल जाती है जहां सिर्फ़ एक कदम आगे बढ़ाने की जरूरत होती सब कुछ आ जाता हैं , डर एक ऐसा ज़हर हैं जो हमें जिंदा तो रखता हैं पर हमसे बहुत कुछ छीन लेता हैं, कुछ ऐसा झूठा डर हम अपनी कल्पनाओं में बना लेते हैं जिसका वास्तविकता से कोई नाता नहीं होता हम उसको सोच सोच के सही साबित कर लेते हैं।