एतिहासिक रहा गुरु गद्दी /महापरोपकर माह का भंडारा

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  • अटूट श्रद्धा एवं दृढ़ विश्वास का अद्भुत समागम रहा एमएसजी का गुरु गद्दी (महापारोपकर माह) का भंडारा।

अपने प्यारे मुर्शीद जी का गुरु गद्दी (महापरोपकार माह) मनाने के लिए आज MSG डेरा सच्चा सौदा व मानवता भलाई केंद्र शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा,बागपत उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से लाखों श्रद्धालु सत्संग रूपी नाम चर्चा में भाग लेने पहुंचे। उल्लेखनीय है कि 23 सितंबर 1990 को डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही बेपरवाह शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने पूज्य संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसान को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर गुरु गद्दी पर बैठाया था, तभी से साध संगत इस माह को महा परोपकार महा गुरु गद्दी दिवस के रूप में मानवता भलाई के कार्यों को करके भंडारे के रूप में मानती है। इसी परिपेक्ष में आज बरनावा आश्रम में नाम चर्चा सत्संग का आयोजन हुआ, सभी समितियां के सेवादार दो दिन पहले हीअपने सेवा कार्यों को अंजाम देने के लिए आश्रम में पहुंच गए थे, रात्रि से ही दूर दराजक्षेत्र से श्रद्धालुओं का आना आश्रम में प्रारंभ हो गया था जो की कार्यक्रम की समाप्ति तक अनवरत जारी रहा, नाम चर्चा सत्संग प्रारंभ होने से पहले ही आश्रम को आने वाले दोनों मार्गों पर कई कई किलोमीटर तक श्रद्धालुओं के वाहनों की कतार लग गई थी, जिन्हें ट्रैफिक समिति के सेवादारों द्वारा सकुशल निर्धारित पार्किंग में खड़ा करवाया




हर किसी श्रद्धालु के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव अपने मुर्शिद के प्रति दृढ़ विश्वास स्पष्ट झलक रहा था, सभी मुख्य द्वार से चेकिंग प्रक्रिया से गुजर कर लाइनों में आते जा रहे थे और निर्धारित सत्संग स्थल पंडाल में व्यवस्थित रूप से बैठकर भजन वाणी एवं पूज्य गुरु जी के रिकॉर्ड अनमोल वचनों को सुनकर आनंदित हो रहे थे। जगत के रंग क्या देखूं तेरा दीदार काफी है, प्रेम पा के जो मुर्शीद का जिया करते हैं,खुशियों का दिन आया खुशियां मनाए। आदि भजन कविराज भाइयों द्वारा पूज्य गुरु जी द्वारा रचित ग्रंथो में से मधुर संगीत की धुनों पर सुनाए जिसका साध संगत ने खूब आनन्द लिया।

श्रद्धालुओं को पूज्य गुरु जी के रिकॉर्डिंग वचन सुनाने के लिए जगह-जगह बड़ी-बड़ी एलइडी स्क्रीनें व लाउडस्पीकर लगाए गए, जिसमें पूज्य गुरू जी ने बाल्य आश्रम, गृहस्थ जिंदगी पर प्रकाश डालते हुए वचन फरमाए कि बच्चे के सबसे पहले गुरु उसके मां-बाप हैं। मां-बाप को चाहिए कि वह अपनी जिंदगी का तजुर्बा अनुभव समय निश्चित करके अपने बच्चों को संस्कार के रूप में दें, बच्चों के साथ उनसे दोस्ताना व्यवहार करें, जिससे बच्चे गंदे दोस्तों के साथ यारी ना करें। गृहस्थ जीवन एक समझौता है, पति-पत्नी दोनों को चाहिए कि वह एक दूसरे के कार्यों में सहयोग दें एक दूसरे की भावनाओं की कदर करें। बच्चों के सामने कभी भी लड़ाई झगड़ा ना करें। बच्चों को चाहिए कि वह अपने मां-बाप का आदर सत्कार करें। बच्चों को पढ़ लिख कर पढ़ाई में, खेलों में, विज्ञान में ऐसा उत्कृष्ट प्रदर्शन करना चाहिए की दुनिया आपके पद चिन्हों पर चले। पूज्य गुरु जी ने संयुक्त परिवार का महत्व बताते हुए सभी से अपनी इगो छोड़कर परिवार में इकट्ठा रहने के लिए प्रेरित किया। इंसान का सबसे बड़ा गुरु उसका सतगुरु, ओम, हरि, अल्लाह, भगवान होता है जो उसकी दोनों जहां में संभल करता है, इस जहां में भी उसको दुख चिंता टेंशन बीमारी से दूर रखते हुए अगले जहां में उसकी आत्मा की संभाल करते हुए मोक्ष मुक्ति प्रदान करता है। इंसान को हमेशा कुछ ना कुछ सीखने की चाह रखनी चाहिए,किसी से भी कहीं से भी कुछ अच्छा कार्य सीखने को मिले उसे तुरंत सीख लेना चाहिए।

पूज्य गुरु जी द्वारा गाया गया फेमश सोंग मेरे देश की जवानी पर साध संगत ने खूब मस्ती में झूमकर खुशियां मनाई।

इस शुभ अवसर पर पूज्य गुरू जी Dr MSG द्वारा चलाए जा रहे मानवता भलाई कार्यों को गति प्रदान करते हुए आश्रम की ओर से 33 अति जरूरतमंद परिवारों को एक एक माह का राशन भी वितरित किया गया।

लंगर समिति के सेवादार भाई बहनों द्वारा कुछ ही समय में लाखों की तादाद में आई हुई साध संगत की प्रसाद,भोजन लंगर खिला दिया गया।

पानी समिति के सेवादार भाई बहनों द्वारा जगह जगह पानी की स्टाल लगाकर श्रद्धालुओं को पानी पिलाया गया।

ट्रैफिक समिति के सेवादारो द्वारा संगत के वाहनों को निर्धारित पार्किंग में लाइनों में खड़ा कराया।

जगह जगह लगाए गए पूज्य गुरु जी के सुंदर-सुंदर आकर्षक स्वरूप युक्त गद्दी दिवस( महा परोपकार माह) की बधाई संदेश युक्त होर्डिंग संगत के आकर्षण का केंद्र रहे।

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