जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन अलायंस ने (सहयोगी संगठन जनहित फाऊंडेशन मेरठ) ने बच्चों के हित में राज्य सरकार से बाल विवाह रोकथाम के लिए की अपील

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बाल विवाह की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान हाई कोर्ट का सख्त आदेश, देश बाल विवाह के खिलाफ पूरे देश में उठाए जाएं सख्त कदम

अक्षय तृतीया से पूर्व राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए उत्तर प्रदेश के गैर सरकारी संगठनों ने उठाई मांग बाल विवाह के खिलाफ पूरे देश में उठाए जाएं सख्त कदम, बाल विवाह को रोकने में विफलता पर वार्ड सदस्य एवं मुखिया को भी जवाब देह बनाया जाए जिससे बाल विवाह पर रोकथाम लगे–अनीता राणा 

बागपत। उत्तर प्रदेश के मेरठ/बागपत जनपद में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस के सहयोगी जनहित फाउंडेशन ने बच्चों के हित में राज्य सरकार से अपील की कि वह भी इस नजीर का अनुसरण करते हुए सुनिश्चित करें कि अक्षय तृतीया के दौरान कहीं भी बाल विवाह नहीं होना पाए।

मामले की गंभीरता और तत्कालिकता का संज्ञान लेते हुए राजस्थान हाई कोर्ट ने जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन एलायंस की जनहित याचिका पर फौरी सुनवाई करते हुए जारी किया आदेश के बाद पूरे देश में इस तरह की आवाज उठने लगी है कि उनके राज्य में भी इस तरह के सख्त कदम उठाए जाएं। उत्तर प्रदेश के मेरठ व बागपत जनपद में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस के सहयोगी जनहित फाउंडेशन ने बच्चों के जनहित में राज्य सरकार से अपील की कि वह भी इस नजीर का अनुसरण करते हुए सुनिश्चित करें कि अक्षय तृतीया के दौरान कहीं भी बाल विवाह नहीं होने पाए हाई कोर्ट का या आदेश जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन एलायंस की जनहित याचिका पर आया है इन संगठनों ने अपनी याचिका में इस वर्ष 10 मई को अक्षय तृतिया के मौके पर होने वाले बाल विवाह को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की थी, न्यायमूर्ति शुभा मेहता और पंकज भंडारी की खंडपीठ ने कहा सभी बाल युवा निषेध अफसर से इस बात की रिपोर्ट मंगाई जानी चाहिए कि उनके अधिकार क्षेत्र में कितने बाल विवाह हुए और उनकी रोकथाम के लिए क्या प्रयास किए गए 

खंड पीठ यह आदेश अक्षत तृतीय से महज 10 दिन पहले आया है। याचिका द्वारा बंद लिफाफे में सौंपी गई अक्षय तृतीया के दिन होने वाले 54 बाल विवाह के सूची पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार को इन विवाहो पर रोक लगाने के लिए बेहद कड़ी नजर रखने को कहा है यद्यपि इस सूची में शामिल कुछ विवाह पहले ही संपन्न हो चुके हैं लेकिन 46 विवाह अभी होने बाकी है। जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन एलायंस के संस्थापक भवन रिव्यू ने कहा बाल विवाह वह घृणित अपराध है जो सर्वत्र व्याप्त है और जिसकी हमारे समाज में स्वीकार्यता है बाल विवाह के मामलों की जानकारी देने के लिए पंच व सरपंचों की जवाबदेही तय करने का राजस्थान हाई कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक है वार्ड सदस्य व मुखिया जब बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक होंगे तो इस अपराध के खिलाफ अभियान में उनकी भागीदारी और कार्रवाई बच्चों की सुरक्षा के लिए लोगों की नजरिया और बर्ताव में बदलाव का वाहक बनेगी। बाल विवाह के खात्मे के लिए राजस्थान हाई कोर्ट का यह फैसला इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है 

जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन एलाइंस गैर सरकारी संगठनों का एक गठबंधन है जिसके साथ 120 से भी ज्यादा गैर सरकारी संगठन सहयोगी तौर पर जुड़े हुए हैं जो पूरे देश में बाल विवाह बाल शोषण और बाल तस्करी जैसे बच्चों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर काम कर रहे हैं हाई कोर्ट का आदेश ऐसे समय आया है जब अक्षय तृतीया के मौके पर बाल विवाह के मामलों में खासी बढ़ोतरी देखने को मिलती है और जिसे रोकने के लिए राज्य सरकार और कानून परिवर्तन के साथ मिलकर जमीन स्तर पर काम कर रहे तमाम गैर सरकारी संगठन हर संभव प्रयास कर रहे हैं। जनहित फाउंडेशन के निर्देशिका श्रीमती अनीता राणा ने कहा राजस्थान हाई कोर्ट का आदेश ऐतिहासिक है इसके दूरगामी नतीजे होंगे 

देश में शायद पहली बार ऐसा हुआ है जब पंचायती राज प्रणाली को यह शक्ति दी गई है कि वह मुखिया वार्ड सदस्य को अपने क्षेत्राधिकार में बाल विवाह को रोकने में विफलता के लिए जवाब देह ठहरा सकता है, जनहित में मुखिया व वार्ड सदस्य से अनुरोध किया कि आप अपने-अपने क्षेत्र में सजग रहे और जिला प्रशासन मेरठ का अपेक्षित सहयोग लें जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन एलायंस के सहयोग के तौर पर हम पूरे देश के जिलाधिकारीयो से इस तरह के कदम उठाने की अपील करते हैं जमीन स्तर पर हमारी पहलो ने यह साबित किया है कि बाल विवाह जैसे मुद्दों के समाधान में सामुदायिक भागीदारी सबसे अहम है यह अदालतीं आदेश बच्चों की सुरक्षा के लिए समुदाय को लामबंद करने में स्थाई नेतृत्व की जवाबदेही की जरूरत को रेखांकित करता है।

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