तकनीकी प्रगति ब्रेन ट्यूमर के लिए शीघ्र निदान और बेहतर उपचार करती है
-डॉक्टर आदित्य गुप्ता, डायरेक्टर, न्यूरोसर्जरी एंड साइबरनाइफ सेंटर, आर्टेमिस हॉस्पिटल
सुरेंद्र मलनिया
बड़ौत/बागपत इस तरह के ट्यूमर बहुत दुर्लभ होते हैं और ब्रेन की प्रमुख नसों के आसपास सूजन का कारण बनते हैं और इसलिए स्थिति के गंभीर विश्लेषण की जरूरत होती है. भारत में ब्रेन ट्यूमर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. हमारे देश में हर साल अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों में ब्रेन ट्यूमर के अधिक से अधिक मामले सामने आ रहे हैं. ब्रेन ट्यूमर को साल 2020 में भारतीयों में 10वें सबसे आम ट्यूमर के रूप में स्थान दिया गया था. ब्रेन ट्यूमर के लिए विशेष कारण, उम्र या लिंग की जानकारी नहीं है, फिर भी मरीजों के आशा है. मेडिकल बिरादरी ने इस रोग और मृत्यु दर कम करने और प्रभावी इलाज के लिए कई कदम उठाए हैं.
इस तरह के ट्यूमर के लक्षण इसके शुरुआती उपचार में चुनौती की तरह हैं और सर्जिकल इंटरवेंशन के लिए कॉम्प्लिकेशंस आती है. एक बार जब मरीज में लक्षण लगातार दिखाई दें और वह आगे की जांच के लिए आए और इसलिए डॉक्टर्स बेहतर परिणाम के लिए ऐसे किसी भी लक्षण को अनदेखा न करने की सलाह देते हैं.
दी इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ कैंसर रजिस्ट्रीज (आईएआरसी) ने बताया है कि भारत में ब्रेन ट्यूमर के 28,000 से अधिक मामले हर साल सामने आते हैं और सालाना 24,000 से अधिक लोगों की ब्रेन ट्यूमर के कारण मौत हो जाती है. हर साल 40,000 से 50,000 लोगों में ब्रेन ट्यूमर का पता चलता है जिनमें से 20% बच्चे होते हैं.
ब्रेन ट्यूमर के ट्रीटमेंट मोडेलिटी में जबरदस्त प्रगति हुई है, नवीनतम साइबरनाइफ रेडियोसर्जरी सिस्टम को सर्जरी के विकल्प या अन्य उपचार के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है. साइबरनाइफ के आने के आने से नॉन कैंसरस और कैंसरस ब्रेन ट्यूमर, दोनों के मैनेजमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
भारत में करीब 3-4 साल से मौजूद तकनीक का उपयोग ज्यादातर शरीर के कैंसरस और नॉन कैंसरस ट्यूमर के उपचार में किया जा रहा है जिसमें प्रोस्टेट, लंग, लीवर आदि शामिल हैं और अब ब्रेन और रीढ़ के ट्यूमर को खतम करने के लिए भी इसका उपयोग किया जा रहा है.
साइबरनाइफ क्या है?
साइबरनाइफ रेडिएशन सर्जरी मूल रूप से सबसे एडवांस, नॉन इनवेसिव रेडिएशन थेरेपी टूल्स है जिसका उपयोग खास तौर पर कैंसरस और गैर कैंसरस और अन्य बीमारियों के उपचार में हाई डोज रेडिएशन के प्रिसाइज किरणों की मदद से किया जाता है. यह कोई दर्द रहित और जोखिम रहित डे-केयर ट्रीटमेंट है जिसमें मरीजों को सेशन की समाप्ति के बाद जल्दी से जल्दी डिस्चार्ज कर दिया जाता है और इसलिए मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती. उपचार में हाई डोज रेडिएशन की किरण को सीधे ट्यूमर पर ले जाने के लिए इमेज गाइडेंस सिस्टम का उपयोग किया जाता है.
साइबरनाइफ रेडिएशन थेरेपी क्लिनिकली प्रमाणित सफलता दर प्राप्त कर चुकी है, हालांकि, ये सबसे अच्छा काम 2-2.5 सेमी तक के ट्यूमर के लिए करती है. हालांकि, कुछ दुर्लभ मामलों में ब्रेन ट्यूमर के उपचार के लिए भी विकल्प के रूप में इसका उपयोग किया जाता है जिनमें ट्यूमर की जगह की वजह से ऑपरेशन नहीं किया जा सकता या फिर मरीज खराब मेडिकल कंडीशन के कारण सर्जरी नहीं करा सकते. और उपचार की सफलता सही मरीज के चयन पर व्यापक रूप से निर्भर करती है और 90 % तक बढ़ जाती है.
साइबरनाइफ की अगली पीढ़ी- M6 अधिक सटीक है जब हाल में उपयोग की गई तकनीक से तुलना की गई तब यह पता चला कि इसमें कुछ खास फीचर्स हैं और उच्च सफलता दर के लिए सब मिलीमीटर प्रिसीजन के साथ अलग-अलग कोण से सीधे ट्यूमर पर रेडिएशन की अधिकतम डोज भेजती है. इसके साथ ही तीव्र ऊर्जा वाली एमिटेड फोकस्ड किरणें कैंसर सेल्स को नष्ट कर देती हैं और ट्यूमर के विकास को कम या नियंत्रित कर लेती हैं. यह कैंसर सेल्स के विकास को भी रोकता है. वास्तव में रेडिएशन थेरेपी का उद्देश्य हानिकारक सेल्स को नष्ट करना है जबकि हेल्दी सेल्स को कम से कम नुकसान पहुंचे.
इसके साथ ही साइबरनाइफ सिस्टम ऑटोमेटिक तरीके से एडजस्ट करते हुए ट्यूमर को ट्रैक करता है जो स्वस्थ अंगों और टिश्यू को रेडिएशन से खतरे को कम करता है. साइबरनाइफ रेडिएशन सर्जरी से पारंपरिक उपचार और सर्जरी की तुलना में कई लाभ हैं.
साइबरनाइफ बनाम पारंपरिक गामा नाइफ
ब्रेन ट्यूमर के मरीजों के लिए गामा नाइफ ट्रीटमेंट उतना सुविधाजनक या आरामदायक नहीं है क्योंकि गामा नाइफ में खोपड़ी में एक इनवेसिव हेड फ्रेम को बोल्ट करने की जरूरत होती है. इसके साथ ही पूरे ट्रीटमेंट प्रोसेस में इमेजिंग से लेकर प्लानिंग और इलाज तक का काम एक ही दिन होता है. आमतौर पर, हेड फ्रेम को रोगी की खोपड़ी पर सुबह चढ़ाया जाता है और इसके बाद इमेजिंग स्कैन किया जाता है. रोगी के पास ट्रीटमेंट की प्लानिंग के दौरान हॉस्पिटल में प्रतीक्षा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता और इस दौरान हेड फ्रेम खोपड़ी पर चढ़ा रहता है.
इससे तुलना करें तो साइबरनाइफ नॉन-इनवेसिव है, रियल टाइम मोशन ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी से हाई डोज रेडिएशन थेरेपी की सटीक डिलीवरी की जाती है. एक भारी हेड फ्रेम की बजाय साइबरनाइफ में मरीज को उपचार के दौरान एक सॉफ्ट, जालीदार मास्क दिया जाता है.
इससे भी अधिक ये कि साइबरनाइफ के साथ ट्रीटमेंट फ्लेक्सिबल है, इमेजिंग कुछ दिन पहले ही कर ली जाती है जिससे न्यूरो सर्जन के पास ट्रीटमेंट प्लान तैयार करने और इसे अंतिम रूप देने के लिए पर्याप्त समय होता है. एक बार प्लान सेट हो जाने के बाद मरीज नॉन-इनवेसिव, दर्द मुक्त अनुभव के लिए वापस आ जाएगा. एडवांस ट्यूमर ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए साइबरनाइफ सिस्टम या तो सिंगल हाई डोज ट्रीटमेंट या दो से पांच दिन के भीतर पांच तक छोटे-छोटे डोज देने में सक्षम है. इस अप्रोच से साइड इफेक्ट कम रहते हैं और अधिकतर मरीज उसी दिन अपनी नियमित दिनचर्या में लौटने में सक्षम होते हैं. इसके अलावा क्लिनिकल स्टडी से सामने आया है कि ब्रेन, गला और रीढ़ में कैसर और नॉन कैंसरस कंडीशंस वाले मरीजों में सिंगल लार्ज डोज की तुलना में छोटी-छोटी दो से पांच डोज रेडिएशन थेरेपी के परिणाम बेहतर रहे हैं.
साइबरनाइफ के साथ उपचार कराने आए मरीजों के लिए उपचार के दौरान रिलैक्स और आराम करने के अलावा कुछ भी जरूरी नहीं है. एक हफ्ते के समय में चार से पांच ट्रीटमेंट सेशंस में उपचार आमतौर पर पूरा हो जाता है. साइबरनाइफ के माध्यम से ट्रीटमेंट की लागत इफेक्टिव है और यह लगभग अन्य सर्जरी की लागत के ही बराबर है.